।।जय माता दी।।
दरबार सजा दिया , तेरी थाल सजा दी है।
करके श्रृंगार तेरा , लाल चुनरी ओढा दी है।।
पुष्प रख दिया,फलाहार रख दिया है।
धूप दीप जला हमने,तेरा दरबार महका दिया है।।
शुभ दिन है आया आज, शुभ वार आ गया है।
हम करेंगे तेरी सेवा, नवरात्र आ गया है।।
सब तैयार हो गया, ढोल मृतंग सज गया है।
अब तुम देर न करो, तेरा शंख बज गया है।।
शेर पर सवार तुम, मुख पर अमिट तेज है।
बिछाकर सुंदर फूल, लगाई तेरी सेज है।।
सर पर सजा मुकुट तुम्हारा, माँग सजी सिंदूर है।
आने से तेरे घर से हमारे हुवे सब दुख दूर हैं।।
गले सजी गुलबन्द तुम्हारा, हाथ रख त्रिशूल माँ।
करदो सुंदर काया को मेरी, मिटा दो जितने शूल हैं।।
दरबार सजा दिया , तेरी थाल सजा दी है।
करके श्रृंगार तेरा , लाल चुनरी ओढा दी है।।